RBI MPC Meeting: नीतिगत दरें यथावत, मुद्रास्फीति पर नजर, विकास को बल
RBI MPC Meeting: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छठी बैठक 8 फरवरी 2024 को समाप्त हो गई है। छह सदस्यीय समिति के सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय में महत्वपूर्ण रेपो रेट को लगातार छठी बार 6.5% पर यथावत रखने का फैसला किया गया है। इस निर्णय के प्रमुख बिंदु और आर्थिक परिदृश्य पर इसके संभावित प्रभावों को समझने का प्रयास करते हैं।
RBI MPC Meeting के प्रमुख बिंदु (विस्तृत):
1. रेपो रेट यथावत:
रेपो रेट, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है, को 6.5% पर यथावत रखा गया है।
यह निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए लिया गया है।
2. मुद्रास्फीति:
- एमपीसी ने अनुमान लगाया है कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2024 में 5.7% और जून 2024 में 5% तक घट जाएगी।
- मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए आरबीआई निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगा:
-
- मौद्रिक नीति को कड़ा रखना
- आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करना
- मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को प्रबंधित करना
3. आर्थिक विकास:
- एमपीसी ने अनुमान लगाया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में जीडीपी वृद्धि 6.9% रहेगी।
- आर्थिक विकास को गति देने के लिए आरबीआई निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगा:
-
- बैंकिंग प्रणाली में तरलता बनाए रखना
- ऋण प्रवाह को बढ़ावा देना
- बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना
4. अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- एमपीसी ने वैश्विक आर्थिक और वित्तीय स्थिति पर भी चर्चा की।
- एमपीसी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत हैं, लेकिन भारत अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
- एमपीसी ने कहा कि वह आर्थिक स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा और आवश्यकतानुसार नीतिगत बदलाव करेगा।
RBI MPC Meeting के संभावित प्रभाव (विस्तृत):
1. ब्याज दरें:
- रेपो रेट में कोई बदलाव न होने से निकट भविष्य में ब्याज दरों के स्थिर रहने की संभावना है।
- इसका मतलब यह है कि घरेलू ऋण, जैसे कि कार ऋण और होम लोन की ईएमआई पर अल्पावधि में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
- हालांकि, लंबी अवधि में, यदि मुद्रास्फीति में वृद्धि जारी रहती है, तो ब्याज दरों में वृद्धि हो सकती है।
2. निवेश:
- ब्याज दरों के स्थिर रहने से बैंक जमा पर रिटर्न भी अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना है।
- हालांकि, यह निवेशकों को इक्विटी बाजार और अन्य जोखिम भरे परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित कर सकता है।
- निवेशकों को अपनी जोखिम सहनशीलता और निवेश लक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेने चाहिए।
3. मुद्रास्फीति:
- एमपीसी का यह निर्णय मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इससे मुद्रास्फीति बढ़ाने वाले कारकों, जैसे कि ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए और उपाय किए जा सकते हैं।
- मुद्रास्फीति में गिरावट से उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता बढ़ सकती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
4. आर्थिक विकास:
- एमपीसी का अनुमान है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में जीडीपी वृद्धि 6.9% रहेगी।
- रेपो रेट में कोई बदलाव न होने से आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
- हालांकि, वैश्विक आर्थिक स्थिति में अनिश्चितता आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकती है।
5. अन्य संभावित प्रभाव:
- इस निर्णय का विनिमय दर, रोजगार और औद्योगिक उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
- एमपीसी आर्थिक स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा और आवश्यकतानुसार नीतिगत बदलाव करेगा।
Coclusion
RBI MPC Meeting: आरबीआई एमपीसी का यह निर्णय आर्थिक स्थिरता और विकास को संतुलित करने की दिशा में एक कदम है। निर्णय के संभावित प्रभावों का आकलन करने के लिए समय की आवश्यकता है। एमपीसी आर्थिक स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा और आवश्यकतानुसार नीतिगत बदलाव करेगा.
अतिरिक्त जानकारी:
- RBI MPC Meeting हर दो महीने में आयोजित की जाती है।
- एमपीसी में छह सदस्य होते हैं, जिनमें आरबीआई गवर्नर और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
- एमपीसी का मुख्य कार्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
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