सार
Dhanteras 2023: इस साल 10 नवंबर को धनतेरस है | ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है | धनतेरस पर नयी चीज़ो की खरीदारी का विशेष महत्व होता है |

विस्तार
यह हिंदू कैलेंडर माह अश्विन (अमांता परंपरा के अनुसार) या कार्तिक (पूर्णिमांत परंपरा के अनुसार) के कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के तेरहवें चंद्र दिवस (त्रयोदशी) को मनाया जाता है। धन्वंतरि, जिनकी पूजा धनतेरस के अवसर पर भी की जाती है, को आयुर्वेद का देवता माना जाता है जिन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए और उसे बीमारी की पीड़ा से छुटकारा दिलाने में आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया। भारतीय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मंत्रालय ने धनतेरस को “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के रूप में मनाने के अपने निर्णय की घोषणा की, जो पहली बार 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था।

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, वह पहला दिन है जो भारत के अधिकांश हिस्सों में दिवाली के त्योहार का प्रतीक है।
धनतेरस 2023 पूजा मुहूर्त (Dhanteras 2023 Muhurat)
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
- धनतेरस पूजा मुहूर्त – शाम 05.47 – रात 07.43 (10 नवंबर 2023)
- यम दीपम मुहूर्त – शाम 05.30 – शाम 06.49
- प्रदोष काल – शाम 05.30 – रात 08.08
- वृषभ काल – शाम 05.47 – रात 07.43
धनतेरस पर खरीदारी का महत्व
वैसे तो धनतेरस पर खरीदारी के लिए पूरा दिन यानी 10 नवंबर 2023, दोपहर 12.35 से 11 नवंबर, दोपहर 01.57 तक शुभ है लेकिन चौघड़िया मुहूर्त देखकर भी खरीदारी करना पुण्यफलदायी होता है.
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
धनतेरस पर क्या खरीदें ?
- धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
- इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
- वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं।
- मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर क्या नहीं खरीदें?
इस दिन कांच, एल्युमीनियम, काले या गहरे रंग की चीजें, चीनी मिट्टी से बनी वस्तु और लोहे से सामान नहीं खरीदना चाहिए.
धनतेरस 2023 शुभ योग (Dhanteras 2023 Shubh Yoga)
धनतेरस के दिन 5 महायोग का संयोग बन रहा है. इस दिन शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख, प्रीति और अमृत योग बनेंगे. इसमें पूजा और खरीदारी करने से मां लक्ष्मी साधकर पर सालभर मेहरबान रहती है.
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras 2023 Puja Vidhi)
- धनतेरस के दिन सुबह साफ सफाई के बाद सूर्योदय से पूर्व स्नान कर साफ या नए वस्त्र पहनें. मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं. अपने कार्यस्थल, दुकान की भी सफाई करें. वंदनवार लगाएं. लक्ष्मी जी के पद् चिन्ह् बनाएं.
- शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें. जो भी खरीदें उसे पहले धनतेरस की पूजा में मां लक्ष्मी को अर्पित करें फिर इस्तेमाल करना चाहिए.
- शाम को शुभ मुहूर्त में गणपति जी की पूजा करें, उन्हें जेनऊ, दूर्वा, चंदन, कुमकुम, मौली चढ़ाएं. फिर धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी की षोडोपचार विधि से पूजा करें. कुमकुम, हल्दी, अक्षत, भोग अर्पित करें. उत्तर दिशा में देवताओं की पूजा करें.
- मां लक्ष्मी का पंचामृत से अभिषेक करें. माता को अष्टगंध, कमल पुष्प, नागकेसर, इत्र, कौड़ी, सफेद मिठाई, नए बही खाते अर्पित करें.
- मानव जीवन का सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ है, इसलिए आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए करें. भगवान धनवंतरि को पीले फूल, पीले वस्त्र चढ़ाएं. पीतल की वस्तु खरीदी हो तो जरुर उन्हें भेंट करें. धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें.
- धनतेरस के दिन शाम शुभ मुहूर्त में यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है. ये दीपक दक्षिण दिशा में लगाएं.
धनतेरस पूजा मंत्र (Dhanteras 2023 Puja Mantra)
- गणपति मंत्र – वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
- धन्वंतरि देव मंत्र – ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः
- कुबेर मंत्र – ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।
- लक्ष्मी मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मीये नम: